वाराणसी संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज द्वारा स्वर्वेद संदेश यात्रा (आत्म जागरण से राष्ट्र जागरण) का दिव्य शंखनाद आज श्रीनगर में हुआ। इस पावन यात्रा की शुरुआत देश की उत्तरी सीमा पर तैनात वीर सैनिकों के मध्य, एक प्रेरणादायी वातावरण में की गई।
संत प्रवर जी ने श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा लहराकर राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया और आध्यात्मिक चेतना से राष्ट्र जागरण की इस यात्रा को कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लिए प्रारंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय और सुरक्षा बलों के बीच संत प्रवर जी ने आत्म-जागरण, संयम और सेवा भाव का संदेश देते हुए कहा
“हमारा भारत केवल भू-भाग नहीं, यह एक चेतना है। उस चेतना को जाग्रत करने के लिए स्वर्वेद सन्देश यात्रा निकली है – जो आत्मा को भी स्पर्श करे और समाज को भी। जब व्यक्ति भीतर से जागेगा, तभी देश, समाज, राष्ट्र का वास्तविक उत्कर्ष सुनिश्चित होगा।”
उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात सैनिक हमारी बाह्य सुरक्षा हैं, और ध्यान साधना हमारे भीतर की सुरक्षा है। जब दोनों मजबूत हों, तब भारत अखंड, अचल और अजेय बनता है।”
इस ऐतिहासिक क्षण में जहाँ सैनिकों को संत श्री द्वारा ध्यान साधना का योगाभ्यास करवाने के पश्चात् मंच से उन्हें मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया वहीँ परस्पर संवाद और प्रसाद वितरण जैसे सहज़ सत्रों के माध्यम से न केवल इन डायरेक्ट सैनिकों के मनोबल को ऊँचाई मिली, बल्कि उनमें आत्मिक ऊर्जा का भी भरपूर संचार हुआ।
स्वर्वेद संदेश यात्रा अब पूरे भारतवर्ष में आत्मिक व राष्ट्रीय चेतना की मशाल लेकर अग्रसर होगी — जन-जन को जोड़ने, जागृत करने और एक नई दिशा देने के उद्देश्य के साथ।