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वाराणसी। विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए यदुवेन्द्र विक्रम सिंह की अदालत में ढाई दशक पुराने संवासिनी प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में सोमवार को कैंट थाने के तत्कालीन हेडकांस्टेबल राजकिशोर सिंह की गवाही पूरी हो गयी। जिस मामले में न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 28 मई की तिथि नियत कर दी। वही आरोपी कांग्रेस प्रवक्ता व राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्थगन आदेश प्रभावी होने के कारण सूचीबद्ध होने तक साक्ष्य उपरोक्त पृथक पत्रावली में साक्ष्य अंकित नही किया जा सकता। इस बात की जानकारी वरिष्‍ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा ने न्यायालय को दी। 

⚡वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध पूर्व से ही सुरजेवाला के विरुद्ध सभी कार्यवाहियों पर स्थगन आदेश पारित है। इस लिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में सूचीबद्ध होकर सुनवाई और उसपर आने वाले आदेश विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट अग्रिम विधि कार्यवाही निष्पादित करे। इस मामले में सुरजेवाला के खिलाफ स्थानीय अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका लंबित है, सुरजेवाला की तरफ से आरोप से डिस्चार्ज किये जाने का अनुरोध स्थानीय अदालत में किया गया है जिसके लिए केस डायरी और अन्य अभियोजन प्रपत्र की मांग की गई थी जो अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट यह कहा है की अग्रिम सुनवाई तक यह आदेश प्रभावी रहेगा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अग्रिम सुनवाई न होने के करण स्थानीय न्यालायल द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाहीं ना करने का आदेश अग्रिम सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। न्यायालय के आदेश के अनुपालन में स्थानीय न्यालालय द्वारा कोई भी कार्यवाही नही की जा सकती।

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